महात्मा जोतिराव गोविंदराव फुले एक महान लेखक, विचारक और समाज सुधारक थे। छात्रों को उनके जीवन के बारे में जानने के लिए यह महात्मा जोतिराव फुले हिंदी निबंध (Mahatma Jotirao Phule Hindi Nibandh) लिखना होता है।
महात्मा जोतिराव फुले निबंध हिंदी में | Mahatma Jotirao Phule Essay in Hindi |
महात्मा फुले का पूरा नाम जोतिराव गोविंदराव फुले था। उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के कटगुन में हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक कार्यों में बिताया। उन्होंने हमेशा किसानों, अछूतों और जनता के कल्याण के लिए प्रयास किया।
महात्मा फुले के पिता का नाम गोविंदराव शेरीबा फुले और माता का नाम चिमनाबाई फुले था। उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले थीं, जो पहली महिला शिक्षिका थीं। सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षित करते हुए उन्होंने पुणे में पहला बालिका विद्यालय स्थापित किया।
जोतिराव जब छोटे थे तब उनकी माता का देहांत हो गया था। तेरह साल की उम्र में उन्होंने सावित्रीबाई से शादी कर ली। महात्मा फुले ने अपनी माध्यमिक शिक्षा स्कॉटिश मिशन हाई स्कूल से पूरी की। वे स्कूली जीवन में मेधावी बुद्धि के छात्र के रूप में जाने जाते थे।
यह महसूस करते हुए कि अज्ञानता समाज में कटुता और असमानता के लिए जिम्मेदार है, उन्होंने प्रयास शुरू किया कि महिलाओं और जनता को सीखना चाहिए। उनका विचार था कि लड़कियों के शिक्षित होने से ही परिवार और समाज का वास्तविक विकास संभव है।
महात्मा फुले ने अपनी पत्नी सावित्रीबाई को शिक्षित किया और 1848 में पुणे में महाराष्ट्र में लड़कियों के लिए पहला स्कूल स्थापित किया। उन्होंने वहां पढ़ाने की जिम्मेदारी अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को सौंपी। बाद में उन्होंने अछूतों के लिए स्कूलों की भी स्थापना की।
महात्मा फुले ने अपने सहयोगियों और अनुयायियों के साथ 1873 में सत्यशोधक समाज की स्थापना की। इस संगठन का महान उद्देश्य समाज के पीड़ितों को न्याय दिलाना और जातिगत भेदभाव और छुआछूत को मिटाकर शिक्षा के माध्यम से एक महान समाज का निर्माण करना था।
महात्मा फुले का लेखन और वाचन गहन था। उनकी पुस्तकें “सार्वजनिक सत्यधर्म” और “गुलामगिरी” बहुत प्रसिद्ध हैं। उनके लेखन से पता चलता है कि वे कितने महान विचारक और लेखक थे।
वर्ष 1888 में मुंबई के लोगों ने राव बहादुर के द्वारा जोतीराव को सम्मानित किया और उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दे दी। दो साल बाद, 28 नवंबर 1890 को, इस महान विचारक और सत्य शोधक का पुणे में निधन हो गया। महात्मा फुले का कार्य अपार था तभी वे पूरे समाज में एक सच्चे जीवन की आशा पैदा कर सकें।
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